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Sunday, 10 September 2017

विद्यार्थी कभी ना करें ये 8 काम नहीं तो असफलता मिलेगी


दोस्तों चानक्य ने विद्यार्थी जीवन की कई नीतियों के बारे में बताया है। हर विद्यार्थी को उन नीतियों का ध्यान रखना चाहिए । अगर चाणक्य की बताई गई इन नीतियों का पालन किया जाए तो विद्यार्थी सही रुप से शिक्षा प्राप्त करता है। तो दोस्तों आज हम आपको बताते हैं आचार्य चाणक्य के द्वारा बताई गई 8 ऐसी बातें जो कि विद्यार्थियों को नहीं करनी चाहिए वरना वह हमेशा असफल ही होगें। तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं।





1. पहली है काम उत्तेजना। जिस व्यक्ति के मन में कामभावना उत्पन्न हो जाती है उसका मन हर समय अशांत रहता है। ऐसा व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए सही या गलत कोई भी रास्ता बना सकता है।
अगर कोई भी विद्यार्थी इन कामभावनाओं के चक्कर में पड़ जाए तो वह पढ़ाई लिखाई से दूर चला जाता है और दूसरे कामों की और आकर्षित होने लगता है। उसका सारा ध्यान काम भावना की ओर जाने लगता है और वह पढ़ाई लिखाई नहीं करता और उसे असफलता मिलती है इसलिए विद्यार्थी को ऐसी भावना से दूर रहना चाहिए ।


2. दूसरा है क्रोध। जिस व्यक्ति का स्वभाव क्रोध वाला है या छोटी से छोटी बात पर क्रोध करता है तो वह हमेशा पछताता है। ऐसे लोग जिन्हें क्रोध आ जाता है तो वह किसी का भी बुरा कर बैठते हैं। विद्यार्थियों का मन अशांत रहे तो उनके लिए ये अच्छा नहीं माना जाता । आचार्य चाणक्य की माने तो क्रोध भी विद्यार्थियों की असफलता का बड़ा कारण बनता है।


3. तीसरा है श्रृंगार यानी की सजना। जिस विद्यार्थी का मन श्रृंगार में लग जाता है तो वह अधिक से अधिक समय केवल उसी काम में गवा देता है। ऐसा व्यक्ति हर वक्त सुंदर और अलग दिखाना चाहता है जिसकी वजह से उसका पूरा समय इन्हीं कामों में चला जाता है और उसे असफलता ही हाथ लगती है।


4. चौथी है निंद्रा। जरूरत से ज्यादा नींद आने की निशानी होती है आलस । आलसी मनुष्य अपने जीवन में मिलने वाली सभी अवसरों को खो देता है और उनका लाभ नहीं उठा पाता । जिस व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा नींद आती है या जो आलसी प्रवृत्ति का होता है उसे जीवन में सफलता मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है इसलिए आचार्य चाणक्य की माने तो विद्यार्थियों को अधिक निंद्रा से दूर रहना चाहिए।


5. पांचवां है स्वादिष्ट पदार्थ। जिस इंसान की जुबान उसके वश में नहीं होती और वह हर वक्त स्वादिष्ट पदार्थों को ढूंढता रहता है ऐसा व्यक्ति खाने पीने के अलावा किसी और कुछ नहीं सोच पाता। विद्यार्थी यदि अपनी जुबान के वश में हो जाए तो वह अपने सारे अवसरों को खोकर स्वास्थ्य खराब कर लेता है और सफलता नहीं पा पाता।


6.छठा है लोभी । लालची इंसान अपने फायदे के लिए किसी के साथ भी धोखा कर सकता है ऐसा व्यक्ति धर्म और अधर्म के बारे में नहीं सोचता। जिस व्यक्ति के मन में लोभ और लालच की भावना होती है तो वह अपना कंपैरिजन दूसरों के साथ करता रहता है और जीवन में मिलने वाले अवसरों को खो देता है। आचार्य चाणक्य की माने तो लोभ भी विद्यार्थियों के जीवन के लिए श्राप की तरह होता है।


7. सातवां है हंसी मजाक करना। विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण गुण होता है गंभीरता। हंसी मजाक करना बुरी बात नहीं है लेकिन अगर कोई विद्यार्थी इस चीज में पूरी तरह से घुल मिल जाए और सारा समय हंसी मजाक करने में व्यर्थ कर दे तो फिर वह उसके लिए बुरा है । आचार्य चाणक्य के अनुसार विद्यार्थी को अपने जीवन में गंभीरता रखनी चाहिए और इसी के साथ उसे आगे बढ़ना चाहिए ताकि उसे सफलता मिल सके।


8. आठवां है अपनी शरीर सेवा। मनुष्य को अपने विद्यार्थी जीवन में आने वाली कठिनाइयों को कम और अपने विद्या पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए । कई बार पढ़ते समय मनुष्य को शारीरिक थकान का सामना करना पड़ता है लेकिन विद्यार्थी को अपने शरीर की सेवा से ज्यादा महत्व अपनी विद्या को देना चाहिए । विद्यार्थी अगर अपने शरीर सेवा और आराम पर ध्यान देगा तो वह कभी भी सफल नहीं हो पाएगा।


तो दोस्तों यह थी 8 ऐसी बातें जो आचार्य चाणक्य के अनुसार विद्यार्थीयों की असफलता का कारण बनती है। इन बातों को वश में करके कोई भी विद्यार्थी जीवन में बड़ी से बड़ी सफलता पा सकता है।

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