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Sunday, 10 September 2017

जब पढ़ने में मन न लगे तो क्या करे, जाने ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का तरीका



हम जब पढ़ने बैठते हैं तो कुछ ही समय बाद हम लेज़ी हो जाते है। और बहाने बनाने लगते हैं कि आज के लिए बहुत हो गया। ये आदत हमारी सफलता के आड़े आती रहती है। हम में से बहुत कम लोग ही सफल हो पाते है, क्योकि वो लोग अपनी उन आदतों पर नियंत्रण करना सीख लेते हैं। पर एक तरकीब है जिससे आपका वापस पढ़ने में मन लग जायेगा औऱ पढ़ना तो पड़ेगा ही क्योकि ये हमारे भविष्य का सवाल है।
तो आज हम जानेगे की आखिर सफल व्यक्ति ऐसा क्या करते है कि वो हम में से आने के बाद भी हम से अलग है।





◆कलाम साहब ने कहा है कि हमे हमेसा रिजल्ट के बजाय नॉलेज पर अधिक जोर देना चाहिए। क्योकि जब तक हमारी सीखने की प्यास रहेगी तब तक सफलता हमारे इर्द गिर्द मंडराती रहेगी।


◆हम रोज़ बेहतर और बेहतर होते जा रहे है, ये हमे पता है। इसलिए रोज़ कुछ ऐसा सीखो की रात को चेन की नींद आये।


◆मुझे अपने नेगेटिव विचारों और कामो के बारे में पता है औऱ मैं हमेसा इनके प्रति सजग रहता हूँ।


◆मुझे अपने देने का या किसी की मदद करने का जो स्वाद है वो अच्छी तरह याद है, यह मुझे अपने बारे में बताता है। कलाम साहब ने कहा है कि हमेसा दुसरो की मदद करो।उन्होंने भी अपने जीवन मे यही किया है।


◆मुझे शिक्षा की वैल्यू पता है क्योंकि इसका बिना मेरी कोई वेल्यू नही है।


◆सीखने का मौका मिलना तरक्की के मौके मिलने जैसा है और मैं लगातार तरक्की कर रहा हूँ।


◆कभी कभी मेरी तरक्की की रफ्तार बहुत कम होती है पर ये ना होने से कई बेहतर है।


◆मेने अपने एडुकेशन स्टैंडर्ड के लिए बहुत ही बड़े गोल सेट किये है और ये बहुत ही महान काम है।


◆मैं बहुत ही स्मार्ट हूँ और दिनों दिन और ज्यादा स्मार्ट बनते जा रहा हूँ।


◆मैं एक छात्र हूँ और ये मेरे सीखने के लिए जिंदगी की सबसे बड़ी स्टेज है



                                       ।

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